Friday, 18 December 2020

श्री दुर्वासा मुनि द्वारा श्रीराधारानी को अमृतहस्ता वरदान प्राप्ति लीला ।

Barsana Radha Rani Mandir

एक बार ऋषि दुर्वासा बरसाने आए ।

श्री राधारानी अपनी सखियों संग बाल क्रीड़ा में मग्न थी ।

छोटे छोटे बर्तनों में झूठ मूठ भोजन बनाकर इष्ट भगवान श्री कृष्ण  को भोग लगा रही थी ।

ऋषि को देखकर राधारानी और सखियाँ संस्कार वश बड़े प्रेम से उनका स्वागत की ।

उन्होंने ऋषि को प्रणाम किया और बैठने को कहा ।

ऋषि दुर्वासा भोली भाली छोटी छोटी कन्यायों के प्रेम से बड़े प्रसन्न हुए और  उन्होंने जो आसान बिछाया था उसमें बैठ गए ।

जिन ऋषि की सेवा में त्रुटि के भय से त्रिलोकी काँपती है,वही ऋषि दुर्वासा की सेवा राधारानी एवम सखियाँ भोलेपन से सहजता से कर रही हैं।ऋषि केवल उन्हें देखकर मुस्कुरा रहे ।

सखियाँ कहतीं है  -

" महाराज !आपको पता है हमारी प्यारी राधा न बहुत अच्छे लड्डू बनाती है। हमने भोग अर्पण किया है। अभी आपको प्रसादी देती हैं । "

यह कहकर सखियाँ  लड्डू प्रसाद ले आती हैं । 

लड्डू प्रसाद तो है,पर है ब्रजरज का बना,खेल खेल में बनाया गया ।

ऋषि दुर्वासा उनके भोलेपन से अभिभूत हो जाते हैं। हँसकर कहते हैं -

" लाली!प्रसाद पा लूँ ?क्या ये तुमने बनाया है ? "

सारी सखियाँ कहती हैं -

"हाँ हाँ ऋषिवर ! ये राधा ने बनाया है। आज तक ऐसा लड्डू आपने नही खाया होगा "

मुंह मे डालते ही परम चकित,शब्द रहित हो जाते हैं ।

एक तो ब्रजरज का स्वाद,दूजा श्री राधा जी के हाथ का स्पर्श लड्डू ।

अमृत को फीका करे ऐसा स्वाद लड्डू का

ऋषि की आंखों में आंसू आ जाते हैं।अत्यंत प्रसन्न हो वो राधारानी को पास बुलाते हैं।

और बड़े प्रेम से उनके सिरपर हाथ रखकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं -

" बेटी आज से तुम अमृत हस्ता हुई । तुम्हारे हाथ के बनाए भोजन को पानेवाला दीर्घायु और सदा विजयी होगा "

ऋषि दुर्वासा धन्य हैं जिनके आशीर्वाद ने श्री श्री राधा कृष्ण की अत्यंत मधुर्यमयी भावी लीला के लिए मार्ग प्रशस्त किया

🙏 जय श्री राधे कृष्णा 🙏