Wednesday 23 January 2019

तुलसी सो नर चतुर है, राम भजन लवलीन।

सबसे कीमती धन है-समय। समय लगाने से धन मिल सकता है, पर धन लगाने से समय नहीं मिलता। अगर धन के बदले समय मिलता तो धनी आदमी नहीं मरते; क्योंकि पैसे देकर वे अपनी उम्र और बढ़ा लेते। परन्तु साठ वर्षों में जो धन कमाया है, उसके बदले साठ मिनट भी समय नहीं मिलता। ऐसे अमूल्य समयको भगवान्के भजन में और संसार की सेवामें लगाना चाहिये। नहीं तो समय सब चला जायगा और मिलेगा कुछ नहीं। जो भगवान्के भजन में समय लगाता है, वही चतुर आदमी है। दूसरे का धन लेने में तथा दूसरे का मन खींचने में तो वेश्या भी चतुर होती है l

                            तुलसी सो नर चतुर है, राम भजन लवलीन।
                            पर-धन पर-मन हरण को, वेश्या भी परवीन॥

विचार करें, आज दिन तक जितना समय चला गया, उसमें हमने आध्यात्मिक उन्नति कितनी की है ? इसमें लोग कलियुग को दोष देते हैं, पर वास्तव में  कलियुग उनके लिये खराब है, जो भजन नहीं करते। भजन करने वालों के लिये कलियुग बहुत लाभदायक है, बड़ा सुन्दर मौका है।

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