Thursday 26 November 2020

गोविंद को गायन में बसबोइ भावे ।

 


आगे गाय पाछें गाय इत गाय उत गाय, गोविंद को गायन में बसबोइ भावे।

गायन के संग धावें, गायन में सचु पावें, गायन की खुर रज अंग लपटावे॥

गायन सो ब्रज छायो, बैकुंठ बिसरायो, गायन के हेत गिरि कर ले उठावे।

'छीतस्वामी' गिरिधारी, विट्ठलेश वपुधारी, ग्वारिया को भेष धरें गायन में आवे॥

गौ चारण की सभी को  मंगलकामनाए

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Friday 20 November 2020

श्रीकृष्ण कथा

 


एक बार कन्हैया को जिद्द चढ़ गई कि मैं अपना चित्र बनवाऊँगा ,
ये बात कान्हा ने मईया ते कही, मईया मै अपना चित्र बनवाऊँगो, 

मईया बोली चित्र बनवाय के का करेगो, 
कन्हैया बोले, मोय कछू ना पतो मैं तो बनवाऊँगो,

मईया कन्हैया को एक औरत के पास ले गई जिसका नाम था चित्रा, 
वो ऐसा चित्र बनाती थी कि कोई पहचान भी ना पावे था कि असली कौन है...

मईया कान्हा को चित्रा के पास ले कर गई और कहा कि कान्हा का चित्र बना दो,
चित्रा ने कान्हा को कभी देखा नही था
चित्रा ने जैसे ही कान्हा को देखा वो देखती ही रह गयी 
और मन मे सोचने लगी इतना प्यारा लल्ला और बहुत ही प्रेम मे खो गयी 

जब मैया ने चिकोटी काटी तब कही जाकर उसकी तन्द्रा भंग हुई ,
चित्रा ने कान्हा को सीधे खडे होने या बैठ जाने को कहा -
लेकिन कान्हा टेढे होने के कारण , बार-बार टेढे खडे हो जाते या बैठ जाते,
कान्हा बोले चित्र बनाना है 
तो ऐसे ही बनाओ.
मे तो एसो ही हूँ टेडो मेडो सो,

लेकिन जब चित्रा ने कान्हा की सूरत देखती तो उनकी शरारत आँखों मैं बस गयी
चित्रा का चित कान्हा मे ही कहीं खो गया

मईया कान्हा को ले कर चली गई और 
चित्रा से बोली चित्र बना कर कल हमारे घर दे जाना

लेकिन चित्रा जब भी कान्हा का चित्र बनाती तो रोने लग जाती 
और सारा चित्र खराब हो जाता

किसी तरह उसने चित्र बनाया और मईया के घर गई.
जब मईया ने चित्र देखा तो ,ख़ुशी के मारे झूम उठी और

चित्रा को वचन दिया की
इस चित्र के बदले तू जो माँगेगी मैं दुँगी चित्रा बोली सच मईया..

मईया बोली हाँ जो माँगेगी मैं दुँगी..
चित्रा बोली तो जिसका चित्र बनायो है वाको ही दे दिओ 

मईया ये बात सुन रोने लगी और 
बोली तू चाहे मेरे प्राण मांग ले पर कान्हा को नही....
चित्रा बोली मईया तू अपना वचन तोड़ रही है
मईया रोते हुए बोली तू कान्हा के समान कुछ भी माँग ले मैं दूँगी

चित्रा बोली तो कान्हा के समान जो भी वस्तु हो तुम मुझे दे दो...
मईया ने घर और बाहर बहुत देखा पर कान्हा के समान कुछ ना मिला..

इतने मे कान्हा चित्रा को थोङा कौने मे ले जा कर बोले 
देख तू मुझे ले जायेगी तो मेरी माँ मर जायेगी
चित्रा बोली अगर तू मुझे ना मिलो तो मै मर जाउँगी.

तब कान्हा ने चित्रा को समझाया की मे तो बृज मे आया ही इस ही लिए हूँ 
तू क्या जो भी मुझ को एक बार दिल से याद करेगा 
मैं खुद ही उसके सामने आ जाऊँगा मे सब
गोपियों का लाला हूँ और मेरी तो बहुत सारी मैया हैं 

तू भी तो मेरी मैया है ,और मैं अपनी मैया कू रोते नाय देख सकू
कान्हा की भोली भोली बातो मे चित्रा रीझ गयी
और बोली जब बुलाऊगी तब आयेगो न तब कान्हा बोले तेरी सो आऊंगा 

तब चित्रा खुश हो कर मईया से बोली अरी मईया मैं तो मजाक कर रही थी,
मुझे तेरा लाला नही चाहिये..ये सुन कर मईया की जान मे जान आई 

यहाँ गोपी का कृष्ण के प्रति अनुराग और 
मैया के कृष्ण प्रेम की लीला का अद्भुत और विलक्षण द्रश्य है,

हे कृष्णा.
भक्त्ति से अधिक आनंदित करने वाली
सृस्टि में कोई वस्तु नहीं है
जिसने एक बार इस सुख को पा लिया
वह सदा सदा केे लिए प्यासा हो गया
  
 🙏 जय श्री राधे कृष्णा 🙏