🥀⚘जय श्री राधे ⚘🥀
प्रभु का स्वभाव भी विचित्र है,अपनी ऐसी लीला फैला देतें हैं कि मानव मन तो उसमें उलझ कर ही रह जाता है।
दक्षिण भारत में मदुरान्तक एक प्रसिद्ध स्थान है। इसका प्राचीन नाम बकुलारण्य है। यहाँ प्रसिद्ध राम मंदिर के बराबर में ही जानकी माता का मंदिर है।
जानकी माता मंदिर के निर्माण-चमत्कार से एक अंग्रेज़ की अटूट श्रद्धा जुड़ी हुई है। लायन्स प्लेस भारी व्यय और भरपूर अच्छी से तकनीक से नदी पर बाँध बनवाता था I
किन्तु प्रति वर्ष बरसात के मौसम में बाँध को बचाने के अनेक प्रयत्नों के उपरांत भी बाँध टूट जाता था। लायन्स प्लेस बहुत परेशान था।
एक दिन गाँव के एक वैष्णव ने उससे जानकी माता के छोटे से मंदिर को कुछ बड़ा बनवा देने का आग्रह किया।
लायन्स प्लेस ने व्यंग्य करते हुये कहा-"तुम्हारी जानकी माता पर बड़ी श्रद्धा है, किन्तु वह तुम्हारे लिये करती ही क्या है ?
बाँध को टूटने से बचा कर वह तुम्हारा हित तो करती नहीं ?
यदि इस वर्ष तुम्हारी जानकी माता बाँध को टूटने से बचा लेंगी तो जानकी माता का मंदिर मैं बनवाऊँगा ।
पुनः बाँध बनवाया गया,यह सन 1778 की घटना है। अन्य वर्षों की अपेक्षा इस बहुत अधिक, भयानक वर्षा हुई।
बाँध ऊपर तक भर गया था, मूसलाधार वर्षा रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। एक प्रकार से त्राहि-त्राहि का मौसम था।
लायन्स प्लेस को पूरा यक़ीन था कि इतनी भयानक वर्षा में बाँध तो कब का टूट कर बह चुका होगा ।
वह अपनी जान जोखिम में डाल कर उसी भयानक मौसम में बाँध को देखने निकल पड़े। वहाँ जाकर देखा को उस दृश्य को देख कर उनकी आँखें फटी की फटी रह गई।
उन्होंने देखा कि एक विशालकाय बंदर रूपी मानव अपने दोनों विशाल हाथों से बाँध को मज़बूती से थामें हुये है I
और दो ज्योतिर्मय युवक,एक श्याम वर्ण,एक ग़ौर वर्ण- धनुष वाण लिये उस बाँध पर इधर से उधर घूम रहे हैं । बाँध पूरी तरह सुरक्षित है,तनिक भी क्षतिग्रस्त नहीं ।
एकाएक लायन्स प्लेस के दोनों हाथ प्रणाम की मुद्रा में जुड़ गये ।
उन्होंने लौट कर गाँव वालों को सारी बातें बताई। जय जय कारें गूँज उठे। गाँव वालों ने उन्हें बताया कि श्याम वर्ण युवक हमारी सीता माता के पति हैं I
और ग़ौर वर्ण युवक हमारी सीता मैया के देवर हैं एवं यह बंदर रूपी मानव हमारे हनुमान जी और हमारी सीता मैया के पुत्र-तुल्य सेवक हैं।
आश्चर्यचकित रह गया आग्रेज अफ़सर लायन्स प्लेस। अगले ही दिन से लायन्स प्लेस ने सीता माता का मंदिर बनवाना प्रारम्भ कर दिया।
⚘ साभार - श्री हरि मंदिर वृंदावन ⚘
प्रभु का स्वभाव भी विचित्र है,अपनी ऐसी लीला फैला देतें हैं कि मानव मन तो उसमें उलझ कर ही रह जाता है।
दक्षिण भारत में मदुरान्तक एक प्रसिद्ध स्थान है। इसका प्राचीन नाम बकुलारण्य है। यहाँ प्रसिद्ध राम मंदिर के बराबर में ही जानकी माता का मंदिर है।
जानकी माता मंदिर के निर्माण-चमत्कार से एक अंग्रेज़ की अटूट श्रद्धा जुड़ी हुई है। लायन्स प्लेस भारी व्यय और भरपूर अच्छी से तकनीक से नदी पर बाँध बनवाता था I
किन्तु प्रति वर्ष बरसात के मौसम में बाँध को बचाने के अनेक प्रयत्नों के उपरांत भी बाँध टूट जाता था। लायन्स प्लेस बहुत परेशान था।
एक दिन गाँव के एक वैष्णव ने उससे जानकी माता के छोटे से मंदिर को कुछ बड़ा बनवा देने का आग्रह किया।
लायन्स प्लेस ने व्यंग्य करते हुये कहा-"तुम्हारी जानकी माता पर बड़ी श्रद्धा है, किन्तु वह तुम्हारे लिये करती ही क्या है ?
बाँध को टूटने से बचा कर वह तुम्हारा हित तो करती नहीं ?
यदि इस वर्ष तुम्हारी जानकी माता बाँध को टूटने से बचा लेंगी तो जानकी माता का मंदिर मैं बनवाऊँगा ।
पुनः बाँध बनवाया गया,यह सन 1778 की घटना है। अन्य वर्षों की अपेक्षा इस बहुत अधिक, भयानक वर्षा हुई।
बाँध ऊपर तक भर गया था, मूसलाधार वर्षा रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। एक प्रकार से त्राहि-त्राहि का मौसम था।
लायन्स प्लेस को पूरा यक़ीन था कि इतनी भयानक वर्षा में बाँध तो कब का टूट कर बह चुका होगा ।
वह अपनी जान जोखिम में डाल कर उसी भयानक मौसम में बाँध को देखने निकल पड़े। वहाँ जाकर देखा को उस दृश्य को देख कर उनकी आँखें फटी की फटी रह गई।
उन्होंने देखा कि एक विशालकाय बंदर रूपी मानव अपने दोनों विशाल हाथों से बाँध को मज़बूती से थामें हुये है I
और दो ज्योतिर्मय युवक,एक श्याम वर्ण,एक ग़ौर वर्ण- धनुष वाण लिये उस बाँध पर इधर से उधर घूम रहे हैं । बाँध पूरी तरह सुरक्षित है,तनिक भी क्षतिग्रस्त नहीं ।
एकाएक लायन्स प्लेस के दोनों हाथ प्रणाम की मुद्रा में जुड़ गये ।
उन्होंने लौट कर गाँव वालों को सारी बातें बताई। जय जय कारें गूँज उठे। गाँव वालों ने उन्हें बताया कि श्याम वर्ण युवक हमारी सीता माता के पति हैं I
और ग़ौर वर्ण युवक हमारी सीता मैया के देवर हैं एवं यह बंदर रूपी मानव हमारे हनुमान जी और हमारी सीता मैया के पुत्र-तुल्य सेवक हैं।
आश्चर्यचकित रह गया आग्रेज अफ़सर लायन्स प्लेस। अगले ही दिन से लायन्स प्लेस ने सीता माता का मंदिर बनवाना प्रारम्भ कर दिया।
⚘ साभार - श्री हरि मंदिर वृंदावन ⚘
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