बहुत समय पहले की बात है | वृन्दावन में श्रीबांके बिहारी जी के मंदिर में रोज पुजारी जी बड़े भाव से सेवा करते थे।
वे रोज बिहारी जी की आरती करते, भोग लगाते और उन्हें शयन कराते और रोज चार लड्डू भगवान के बिस्तर के पास रख देते थे।
उनका यह भाव था कि,
बिहारी जी को यदि रात में भूख लगेगी तो वे उठ कर खा लेंगे और जब वे सुबह मंदिर के पट खोलते थे तो भगवान के बिस्तर पर प्रसाद बिखरा मिलता था। इसी भाव से वे रोज ऐसा करते थे।
एक दिन बिहारी जी को शयन कराने के बाद वे चार लड्डू रखना भूल गए। उन्होंने पट बंद किए और चले गए।
रात में करीब १०-११ बजे, मंदिर के पास के जिस दुकान से वे बूंदी के लड्डू आते थे, उन बाबा की दुकान खुली थी।
वे घर जाने ही वाले थे तभी एक छोटा सा बालक आया और बोला,
बाबा मुझे बूंदी के चार लड्डू चाहिए।
बाबा ने कहा -
लाला, बूँदी के लड्डू तो खत्म हो गए, बाकी के अभी बचे हैँ।
तब बालक मना करते हुए बोला -
नहीँ बाबा मुझे तो बूँदी के ही लड्डू चाहिए आप अंदर देख लीजिए कुछ बूँदी के लड्डू मिल जाऐँगे।
अंदर गये तो केवल चार बूँदी के लड्डू अब भी बचे थे। तो देते हुए बोले,
लाला तुम बहुत भाग्यशाली हो तुम्हारे लिए बूँदी के लड्डू मिल ही गये।
छोटे छोटे हाथोँ मेँ लड्डू देते हुए बाबा ने कहा -
पैसे दो।
बालक ने कहा -
मेरे पास पैसे तो नहीं हैं परंतु, ये सोने का कंगन है आप ये ले लीजिए और कल सुबह मेरे बाबा जी पैसे दे जाऐँगे तब आप ये कंगन वापस कर दीजिएगा।
बाबा देखते ही रह गये की,
कितना प्यारा बालक है किसी ब्राह्मण का पुत्र है ये लड्डू चार पैसे का भी नहीँ और सोने का इतना मँहगा कंगन दिये दे रहा है।
तो बाबा ने कहा -
लाला पैसे नहीं हैं तो रहने दो, कल अपने बाबा से कह देना, मैं उनसे ले लूँगा।
पर वह बालक नहीं माना और कंगन दुकान में फेँक कर भाग गया।
सुबह जब पुजारी जी ने पट खोला तो उन्होंने देखा कि, बिहारी जी के हाथ में कंगन नहीं है। मंदिर मेँ चोरी हो गयी है।
थोड़ी देर बाद ये बात सारे मंदिर में फ़ैल गई। सभी उदास थे की बाँकेबिहारी जी का कंगन चोरी हो गया।
मंदिर का पुजारी उस लड्डू की दुकान के पास से गुजरा। तो दुकान बाले बाबा ने पूछा की,
क्या बात है पुजारी जी ? आज आप बहुत उदास दिख रहे हैँ और आपने आज जय श्रीराधे भी नहीँ बोला।
पुजारी जी बोले मंदिर मेँ चोरी हो गयी है बाँकेबिहारी जी का कंगन चोरी हो गया है।
तब उस दुकान वाले को रात की बात याद आई उसने सारी बात बताई की,
कल रात एक तेजस्वी बालक अपना कंगन दे गया है लड्डू के बदले।
फिर वो कंगन लाकर पंडित जी को दिया।
पंडितजी,
"मिल गया मिल गया बाँकेबिहारी जी का कंगन" कहते मंदिर की तरफ दौडे।
तब मंदिर के पुजारी जी बोले,
कल रात बाँकेबिहारी जी के पास लड्डू रखना भूल गया था तो बाँकेबिहारी जी खुद ही लड्डू ले आये।
ये सब जानकर लड्डूबाले बाबा बोले,
कल रात स्वयं बाँके बिहारी जी आये थे और मै पहचान न सका।
फिर वो भगवान की भक्ति मेँ ही लीन रहने लगे।
जय श्री कुंज बिहारी👏👏
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